Saturday, 31 December 2016

सही बुखारी :~ 
1 किताब बद'इल वह्'यी ( book of revelation) book no. 1 

हदीस न. 4 


  قَالَ ابْنُ شِهَابٍ وَأَخْبَرَنِي أَبُو سَلَمَةَ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ، أَنَّ جَابِرَ بْنَ عَبْدِ اللَّهِ الأَنْصَارِيَّ، قَالَ ـ وَهُوَ يُحَدِّثُ عَنْ فَتْرَةِ الْوَحْىِ، فَقَالَ ـ فِي حَدِيثِهِ ‏"‏ بَيْنَا أَنَا أَمْشِي، إِذْ سَمِعْتُ صَوْتًا، مِنَ السَّمَاءِ، فَرَفَعْتُ بَصَرِي فَإِذَا الْمَلَكُ الَّذِي جَاءَنِي بِحِرَاءٍ جَالِسٌ عَلَى كُرْسِيٍّ بَيْنَ السَّمَاءِ وَالأَرْضِ، فَرُعِبْتُ مِنْهُ، فَرَجَعْتُ فَقُلْتُ زَمِّلُونِي‏.‏ فَأَنْزَلَ اللَّهُ تَعَالَى ‏{‏يَا أَيُّهَا الْمُدَّثِّرُ * قُمْ فَأَنْذِرْ‏}‏ إِلَى قَوْلِهِ ‏{‏وَالرُّجْزَ فَاهْجُرْ‏}‏ فَحَمِيَ الْوَحْىُ وَتَتَابَعَ ‏"‏‏.‏ تَابَعَهُ عَبْدُ اللَّهِ بْنُ يُوسُفَ وَأَبُو صَالِحٍ‏.‏ وَتَابَعَهُ هِلاَلُ بْنُ رَدَّادٍ عَنِ الزُّهْرِيِّ‏.‏ وَقَالَ يُونُسُ وَمَعْمَرٌ ‏"‏ بَوَادِرُهُ" ‏



  • हजरत जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी रजिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है की उन्होने रसुलुल्लाह ﷺ की जुबानी वह्'य के रुक जाने का किस्सा सुना, आपने फरमाया :- एक रोज मे रास्ते से गुजर रहा था की अचानक मुझे आसमान से एक आवाज सुनायी दी,मेने सर उठाया तो देखा की वही फरिश्ता जो मेरे पास गारे हीरा मे आया था, आसमान ओर जमीन के बीच एक कुर्सी पर बेठा हुआ है !
मे बहुत डर गया, फिर लोटकर मेने कहा  " मुझे चादर ओढा दो, " मुझे चादर ओढा दो " (खदीजा ने मुझे चादर ओढा दी ) 
उस वक्त अल्लाह त'आला ने वह्'यी नाजिल की : - " ऐ ओढ लपेटकर लेटने वाले, उठो ओर खबरदार करो ओर अपने रब की बङायी का ऐलान करो ओर अपने कपङे पाक रखो ओर गंदगी से दूर रहो " (सुरह : अल मुद्दसिर ) 
फिर वह्'य के उतरने मे तेजी आ गयी ओर वह्'य लगातार उतरने लगी !





:  Hajrat jabir bin abdulla ansari (raji.) Se riwayat hai ke unhone rasoolullah ﷺ ki jubani wah'y ke ruk jane ka kissa suna aapne farmaya ek roj me taste se gujar raha tha  ki achanak aasman se aawaj aayi , mene sar uthaya to daikha ki wahi farishta Jo mere pas gare hira me aaya tha, aasman or jameen ke beech ek kursi par baitha hua hai, mai bahoot dar gaya, fir  lotkar mene kaha " mujhe chadar odha do" mujhe chadar odha do"  ( khadija ne  mujhe chadar odha di) 
Us waqt ALLAH't'aala ne  wah'yi nazil ki:-  "e odh lapetkar letne wale utho or aur khabardaar karo or apne rab  ki badayi ka aelaan karo or apne kapde pak rakho or gandgi  se door raho" ( surah: al  muddasir)
Fir  wah'y ke utarne me tezi Aa  gayi or wah'y lagatar utrne lagi !

Friday, 30 December 2016

सहि बुखारी :- बद'ईल वह्'य हदीस 3

सही बुखारी :-

 1. किताबु बद'इल वह्'य

हदीस न.3










حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ بُكَيْرٍ، قَالَ حَدَّثَنَا اللَّيْثُ، عَنْ عُقَيْلٍ، عَنِ ابْنِ شِهَابٍ، عَنْ عُرْوَةَ بْنِ الزُّبَيْرِ، عَنْ عَائِشَةَ أُمِّ الْمُؤْمِنِينَ، أَنَّهَا قَالَتْ أَوَّلُ مَا بُدِئَ بِهِ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم مِنَ الْوَحْىِ الرُّؤْيَا الصَّالِحَةُ فِي النَّوْمِ، فَكَانَ لاَ يَرَى رُؤْيَا إِلاَّ جَاءَتْ مِثْلَ فَلَقِ الصُّبْحِ، ثُمَّ حُبِّبَ إِلَيْهِ الْخَلاَءُ، وَكَانَ يَخْلُو بِغَارِ حِرَاءٍ فَيَتَحَنَّثُ فِيهِ ـ وَهُوَ التَّعَبُّدُ ـ اللَّيَالِيَ ذَوَاتِ الْعَدَدِ قَبْلَ أَنْ يَنْزِعَ إِلَى أَهْلِهِ، وَيَتَزَوَّدُ لِذَلِكَ، ثُمَّ يَرْجِعُ إِلَى خَدِيجَةَ، فَيَتَزَوَّدُ لِمِثْلِهَا، حَتَّى جَاءَهُ الْحَقُّ وَهُوَ فِي غَارِ حِرَاءٍ، فَجَاءَهُ الْمَلَكُ فَقَالَ اقْرَأْ‏.‏ قَالَ ‏"‏ مَا أَنَا بِقَارِئٍ ‏"‏‏.‏ قَالَ ‏"‏ فَأَخَذَنِي فَغَطَّنِي حَتَّى بَلَغَ مِنِّي الْجَهْدَ، ثُمَّ أَرْسَلَنِي فَقَالَ اقْرَأْ‏.‏ قُلْتُ مَا أَنَا بِقَارِئٍ‏.‏ فَأَخَذَنِي فَغَطَّنِي الثَّانِيَةَ حَتَّى بَلَغَ مِنِّي الْجَهْدَ، ثُمَّ أَرْسَلَنِي فَقَالَ اقْرَأْ‏.‏ فَقُلْتُ مَا أَنَا بِقَارِئٍ‏.‏ فَأَخَذَنِي فَغَطَّنِي الثَّالِثَةَ، ثُمَّ أَرْسَلَنِي فَقَالَ ‏{‏اقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَقَ * خَلَقَ الإِنْسَانَ مِنْ عَلَقٍ * اقْرَأْ وَرَبُّكَ الأَكْرَمُ‏}‏ ‏"‏‏.‏ فَرَجَعَ بِهَا رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يَرْجُفُ فُؤَادُهُ، فَدَخَلَ عَلَى خَدِيجَةَ بِنْتِ خُوَيْلِدٍ رضى الله عنها فَقَالَ ‏"‏ زَمِّلُونِي زَمِّلُونِي ‏"‏‏.‏ فَزَمَّلُوهُ حَتَّى ذَهَبَ عَنْهُ الرَّوْعُ، فَقَالَ لِخَدِيجَةَ وَأَخْبَرَهَا الْخَبَرَ ‏"‏ لَقَدْ خَشِيتُ عَلَى نَفْسِي ‏"‏‏.‏ فَقَالَتْ خَدِيجَةُ كَلاَّ وَاللَّهِ مَا يُخْزِيكَ اللَّهُ أَبَدًا، إِنَّكَ لَتَصِلُ الرَّحِمَ، وَتَحْمِلُ الْكَلَّ، وَتَكْسِبُ الْمَعْدُومَ، وَتَقْرِي الضَّيْفَ، وَتُعِينُ عَلَى نَوَائِبِ الْحَقِّ‏.‏ فَانْطَلَقَتْ بِهِ خَدِيجَةُ حَتَّى أَتَتْ بِهِ وَرَقَةَ بْنَ نَوْفَلِ بْنِ أَسَدِ بْنِ عَبْدِ الْعُزَّى ابْنَ عَمِّ خَدِيجَةَ ـ وَكَانَ امْرَأً تَنَصَّرَ فِي الْجَاهِلِيَّةِ، وَكَانَ يَكْتُبُ الْكِتَابَ الْعِبْرَانِيَّ، فَيَكْفِّيَ وَفَتَرَ الْوَحْىُ


•हजरत उम्म अल मु'अमिनीन आयशा रजि अल्लाहु अन्हा से रिवायत  है रसूल अल्लाह ﷺ पर वह्'य का आगाज अच्छे ख्वाबो से हुआ आप ﷺ जो भी ख्वाब देखते वह (बेदारी मे ) सुबह की रोशनी की तरह नमुदार होता, फिर आप ﷺ को तन्हाई पसंद हो गयी आप खाने पिने का सामान लेकर गारे हिरा मे गुजारते,  फिर खदिजा (रजि.) के पास वापस लोट आते, फिर कुछ दिनो का खाने पिने का सामान लेकर वापस गारे हिरा तशरीफ ले जाते (यह सिलसिला चलता रहा ) यहा तक की  एक दिन आप पर हक आ गया  जब आप गारे हिरा मे थे तो अल्लाह का फरिश्ता आया ओर कहा  "पढो" आप ﷺ ने कहा नही मे पढना नही जानता, आपﷺ फरमाते है की इस पर फरिश्ते ने मुझे पकङकर इतने जोर दबाया की मेरी ताकत जवाब दे गयी फिर मुझे छोङ दिया ओर कहा "पढो" तो मेने कहा मे पढना नही जानता इस पर फरिश्ते ने मुझे फिर पकङा दुसरी बार इतना दबाया की मेरी ताकत जवाब दे गयी ! फिर मुझे छोङ दिया ओर कहा "पढो" मेने कहा मे पढना नही जानता, इस पर फरिश्ते ने मुझे फिर पकङा ओर तीसरी बार दबोचा, फिर छोङ दिया ओर कहने लगा :
पढो उस रब के नाम से जिसने पेदा किया, इंसान को जिसने खून के लोथङे से बनाया ओर तेरा परवरदिगार बङा करम वाला है ,इस के बाद आप ﷺ पर खोफ की कैफीयत तारी हो गयी, ओर आप ﷺ हजरत खदीजा बिन्ते खुवैलिद रजि अल्लाहु अन्हा के पास तसरीफ ले गये, ओर फरमाने लगे मुझे कपङा ओढा दो, मुझे कपङा ओढा दो, उन्होने; आप को कपङा ओढा दिया जब आप का डर जाता रहा तो आपने हजरत खदिजा रजिअल्लाहु अन्हा से ये किस्सा बयान करके  फरमाया की मेरी जान को डर है, हजरत खदिजा रजिअल्लाहु अन्हा ने आप को तस्सली देते हुये कहा; कसम अल्लाह की, अल्लाह आप को कभी रुसवा नही करेगा क्यो की आप तो सिला रहमी करते है, कमजोरों का बोझ उठाते है, गरीबो को कमा कर देते है, मेहमानो की खातिरदारी करते है, ओर मुश्किल मे हक का साथ देते है,

फिर खदिजा रजिअल्लाहु अन्हा आप ﷺ को साथ लेकर अपने चाचाजाद भाई वरका बिन नोफल बिन असद बिन उज्जा के पास आयी,
जो जमाना ए जहालत मे ईसाईयत अख्तियार कर चुके थे, ओर इबरानी जुबान मे लिखना जानते थे, ओर बुढापे की वजह से नाबिना (अंधे) हो चुके थे,
उनसे खदिजा रजिअल्लाहु अन्हा ने कहा मेरे चाचाजाद भाई जरा अपने भतिजे (हजरत मुहम्मद ﷺ) कि बात तो सुने 
वरका ने आप ﷺ से कहा मेरे भतिजे कहो तुमने क्या देखा 
रसूल अल्लाह ﷺ जो देखा था वो बयान कर दिया >
इस पर वरका कह उठा यह तो वही अल्लाह का राजदार फरिश्ता है जिसको अल्लाह ने हजरत मुसा अलैहि सलाम पर उतारा था, काश मे आपके नबी होने के जमाने मे जवान होता, काश मे उस वक्त तक जिन्दा रहू जब आपकी कोम आपको निकाल देगी, 
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया अच्छा तो क्या वह लोग मुझे निकाल देंगे ? 
वरका ने कहा हां ! जब भी कोई आदमी इस तरह का पैगाम लाया जेसा आप लाये है तो लोग उसके दुश्मन हो गये !
अगर मुझे वो जमाना नसीब हुआ तो मे आपकी भरपूर मदद करुगा ! फिर वरका थोङे दिनो बाद मर गये
ओर वह्'य आना रुक गयी

फायदा :- वह'य‌ के रुक जाने के जमाने मे कुर'आन  नजिल होने मे देरी हुयी थी ! जिब्राईल अलैही सलाम का आना जाना खत्म नही हुआ था !ओर जब कभी आप पहाङ पर अपने आप को गिरा देने के इरादे से चढते तो हजरत जिब्र्राईल अलैही सलाम तशरीफ लाते ओर आपको नबी बरहक होने  का पैगाम सुनाते !

Saturday, 24 December 2016

इंसान के अ'अमाल का दारोमदार नियत पर है.

सही बुखारी :- 

1. किताबु बद'इल वह्'यी 



हदीस नं. - 1

                                                     
حَدَّثَنَا الْحُمَيْدِيُّ عَبْدُ اللَّهِ بْنُ الزُّبَيْرِ، قَالَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ، قَالَ حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ سَعِيدٍ الأَنْصَارِيُّ، قَالَ أَخْبَرَنِي مُحَمَّدُ بْنُ إِبْرَاهِيمَ التَّيْمِيُّ، أَنَّهُ سَمِعَ عَلْقَمَةَ بْنَ وَقَّاصٍ اللَّيْثِيَّ، يَقُولُ سَمِعْتُ عُمَرَ بْنَ الْخَطَّابِ ـ رضى الله عنه ـ عَلَى الْمِنْبَرِ قَالَ سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يَقُولُ ‏"‏ إِنَّمَا الأَعْمَالُ بِالنِّيَّاتِ، وَإِنَّمَا لِكُلِّ امْرِئٍ مَا نَوَى، فَمَنْ كَانَتْ هِجْرَتُهُ إِلَى دُنْيَا يُصِيبُهَا أَوْ إِلَى امْرَأَةٍ يَنْكِحُهَا فَهِجْرَتُهُ إِلَى مَا هَاجَرَ إِلَيْهِ  



•हजरते उमर बिन खत्ताब रजि अल्लाहु अन्हु ने मिंबर पर खङे होते हुये फरमाया:- मेने रसूल अल्लाह ﷺ
को फरमाते हुये सुना - तमाम अमाल का दारोमदाए नियत पर है, ओर हर शख्स को वही मिलेगा जिसकी उसने नियत की, फिर जिसने दुनिया कमाने या किसी ओरत से शादी करने की गरज से हिजरत की, उसकी हिजरत उस काम के लिए होगी.

Hajrate umar bin khattab rajiAllahu anhu ne mimbar par khade hote huye  farmaya :- mene rasool Allah ﷺ Ko farmate huye  suna - tamam a'amal ka daromdar niyat par hai, or har  shaksh ko wahi milega jiski usne niyat ki, fir jisne duniya kamane ya kisi aurat se shadi karne ki garaj se hijrat ki, uski hijrat us kaam me liye hogi.



फायदे :- इमाम बुखारी ने इस हदीस को शुरु किताब मे इसलिए बयान किया है की इस किताब के लिखने मे अल्लाह त'आला की रजा मकसुद है,चुंकि वह्'य के जरिये शरिअत के अहकाम बयान किये जाते है,ओर शर'ई अहकाम कि बुनयाद साफ नियत है .(ओनुलबारी१/२८)

नबी करीम ﷺ पर कुरान केसे नाजिल होती थी

सही बुखारी :-
1. किताबु बद'इल वह्'यी



हदीस नं. 2



حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ يُوسُفَ، قَالَ أَخْبَرَنَا مَالِكٌ، عَنْ هِشَامِ بْنِ عُرْوَةَ، عَنْ أَبِيهِ، عَنْ عَائِشَةَ أُمِّ الْمُؤْمِنِينَ ـ رضى الله عنها ـ أَنَّ الْحَارِثَ بْنَ هِشَامٍ ـ رضى الله عنه ـ سَأَلَ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم فَقَالَ يَا رَسُولَ اللَّهِ كَيْفَ يَأْتِيكَ الْوَحْىُ فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ‏"‏ أَحْيَانًا يَأْتِينِي مِثْلَ صَلْصَلَةِ الْجَرَسِ ـ وَهُوَ أَشَدُّهُ عَلَىَّ ـ فَيُفْصَمُ عَنِّي وَقَدْ وَعَيْتُ عَنْهُ مَا قَالَ، وَأَحْيَانًا يَتَمَثَّلُ لِيَ الْمَلَكُ رَجُلاً فَيُكَلِّمُنِي فَأَعِي مَا يَقُولُ ‏"‏‏.‏ قَالَتْ عَائِشَةُ رضى الله عنها وَلَقَدْ رَأَيْتُهُ يَنْزِلُ عَلَيْهِ الْوَحْىُ فِي الْيَوْمِ الشَّدِيدِ الْبَرْدِ، فَيَفْصِمُ عَنْهُ وَإِنَّ جَبِينَهُ لَيَتَفَصَّدُ عَرَقًا





• हजरत उम्म अल मु'अमिनीन आयशा रजिअल्लाहु अन्हा ने फरमाया के हारिस बिन हिसाम ने रसूल अल्लाह ﷺ से पुछा - या रसूल अल्लाह  ﷺ आप पर वह्'य केसे आती है, तो रसूल अल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया - "कभी तो वह्'य नाजिल होने की हालत मे घंटी की आवाज महसूस होती है, ओर ये वह्'य मुझ पर बहुत शख्त गुजरती है, फिर जब ये सिलसिला मुनकत'अ होता(रुकता) है तो वह सारी बात मुझे याद हो जाती है, ओर कभी फरिस्ता इंसानी शक्ल मे मुझ से बात करता है ओर मे उसे याद कर लेता हूं " हजरते आयशा रजिअल्लाहु अन्हा फरमाती है के मेने रसूल अल्लाह ﷺ पर शख्त सर्दी मे वह्'य नाजिल होते देखा के आप ﷺ की पेशानी पसीने से सराबोर हो जाती थी.



Hajrat umm'l mu'amineen aaysha rajiAllau anha ne  farmaya -ke  Harris bin hisam ne  rasool Allahﷺ  se  pucha ki ya rasool Allahhﷺ  aap par wah'y kese aati hai ? To rasool Allahﷺ  irshad farmaya - ke "kabhi to wah'y najil hone ki halat me ghanti ki aawal mahsoos hoti  hai .or ye wah'y mujh par bahoot shakht gujrti hai, phir jab ye silsila rukta hai  to vo sari bat mujhe yad  ho jati hai ,or kabhi farishta insani  shakl me mujh se  baat karta hai ,or me usai yaad kr leta  hu" hajrate aaysha rajiAllahu anha  farmati hai ke  mene rasool Allahﷺ par shkhat sardi me wah'y najil vote dekha ki aapﷺ paishani pasine se sarabor ho jati thi.



फायदे :- आपके पास वह्'य किस हालत मे आती है ? इस सवाल मे तीन चिजे आती है, 
1. नफ्से वह्'य की हालत 
2. वह्'य लाने वाले हजरत जिब्राईल की हालत
3. खुद रसुलुल्लाह ﷺ की हालत 
जवाब मे इन तीनो चिजो की वजाहत है, हदीस मे वह्'य की दो सूरतो को बयान किया गया है जो आमतौर पर आप ﷺ को पेश आती थी ! इसके अलावा कभी ख्वाब की शक्ल मे कभी हजरत जिब्राईल के अपनी असली सुरत मे आने से ओर कभी अल्लाह त'आला के खुद बात करने से भी वह्'य का सबूत मिलता है . ( ओनुलबरी १/३८)